बी स्टिंग थेरेपी को मेडिकल की भाषा में एपिथेरपी भी कहा जाता है। इसमें मधुमक्खी के उत्पादों जैसे शहद, मधुमक्खी जहर, मधुमक्खी पराग का इस्तेमाल किया जाता है।
बी स्टिंग थेरेपी एक प्राचीन थेरेपी है, जिसका इस्तेमाल 3000 सालों से चीन में होता आ रहा है। इससे गठिया और पुराने से पुराने दर्द को कम किया जा सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, मधुमक्खी के जहर में मेलिटिन और फोस्फोलिपेस जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण भी होता है, जो सूजन को कम करता है।
मधुमक्खी के डंक से जो जहर निकलता है उससे कई ब्यूटी प्रोडक्ट जैसे मॉइश्चराइजर, लोशन और सीरम भी बनाया जाता है। इससे झुर्रियां, झाइयां और त्वचा का कालापन दूर किया जा सकता है।
एक रिसर्च के अनुसार, मधुमक्खी के डंक में मौजूद जहर ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को खत्म कर सकता है। इसमें मौजूद मेलिटिन का इस्तेमाल कीमोथेरेपी की दवाओं में भी होता है।
बी स्टिंग थेरेपी में सूजनरोधी गुण पाए जाते हैं जो गठिया की सूजन और दर्द को कम करते हैं और जोड़ों को मजबूत बनाते हैं।
चाइना में बी स्टिंग थेरेपी में शरीर के जिस हिस्से में दर्द होता है वहां पर कई बार मधुमक्खियों से कटवाया जाता है। ऐसा कहते हैं कि मधुमक्खियों में जलन दूर करने की ताकत होती है।
कई सारे ट्रीटमेंट में मधुमक्खी के जहर को एकत्रित किया जाता है और इसे मरीज के शरीर में इंजेक्शन के जरिए डाला जाता है।