ब्रेस्ट फीड से बच्चे का इम्यून मजबूत होता है। जो बच्चे 2 साल तक मदर फीड करते हैं उनकी इम्यूनिटी बाकी बच्चों से ज्यादा अच्छी होती है। यह इम्यूनिटी ब्रेस्ट फीडिंग से आती है।
इंफेंट मोर्टेलिटी रेट में उन बच्चों में कम होती है जो ब्रेस्ट फीड लेते हैं। यानि जो बच्चे मां का दूध पीते हैं उनको अस्थमा, निमोनिया, कई तरह की खांसी भी कम होती है।
जो बच्चे स्तनपान करते है उनका मस्तिष्क का विकास तेजी से होता है। ऐसे हम नहीं कह रहे हैं यह कई रिसर्च द्वारा किया गया दावा है।
मां का दूध बच्चों के लिए अमृत की तरह होता है। इससे शिशु के मृत्यु दर को कमी होती है और इंफेक्शन का खतरा कम होता है।
स्तनपान कि वजह से मां के हार्मोन संतुलित रहते है जिसके कारण मां को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है साथ ही कील- मुंहासे होने की संभावना कम बनी रहती है।
जब मां, बच्चों को स्तनपान कराती है तो ऐसा बताया जाता है कि मां के गर्भाशय और अंडाशय के कैंसर होने की संभावना कम रहती है।
प्रेग्नेंसी के समय मां का वजन बढ़ने लगता है लेकिन ऐसा कहा जाता है कि स्तनपान कराने की वजह से कैलोरी कम होती है जिससे बढ़ते वजन को नियंत्रित किया जा सकता है।
ब्रेस्टफीडिंग की वजह से महिलाओं में प्री-मोनोपोज, हाइपरटेंशन और पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी प्रसवोत्तर अवसाद का खतरा कम होता है।