पानी की कमी से दिल की बीमारी, कब्ज, पथरी, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन और डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है। साथ ही सर्दियों में पानी की कमी से दिल पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है?
ठंड के मौसम में पानी कम पिया जाए तो इससे खून गाढ़ा होने लगता है। इसके गाढ़े होने की वजह से पंप होना मुश्किल हो जाता है, इसलिए ब्लड को अधिक बल के साथ पंप करना पड़ता है।
पानी की कमी से कार्डियक आउटपुट को बनाए रखने के लिए हृदय की गति बढ़ने लगती है, इससे स्ट्रोक वॉल्यूम यानि दिल की धड़कन की पंपिंग कम हो सकती है, जिससे हृदय पर दबाव पड़ता है।
पानी की कमी से पोटेशियम और सोडियम का इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बिगड़ने लगता है, जो एक सेहतमंद हृदय के लिए बहुत जरूरी है। इससे दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है।
डिहाइड्रेशन से खून गाढ़ा होने लगता है, इससे खून के थक्के जमने का खतरा भी बढ़ जाता है। ये थक्के नसों के ब्लॉक कर सकते हैं और दिल के दौरे या स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है।
शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए ठंड लगने पर शरीर त्वचा में नसों को सिकोड़ लेता है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ने और हृदय पर अधिक दबाव पड़ने की आशंका रहती है।