शराब- मदिरा- सुरा-दारू-वाइन नाम चाहे जो हो, काम बस होश गंवाने का करती है। इसे पीने के बाद सिर तो चकराने लगता है, वहीं इंसान क्या कर रहा है, उसे इसका भी कुछ पता नहीं होता है।
शराब सबसे पहले Nervous system पर असर करती है। इससे ब्रेन के तमाम काम प्रभावित होते हैं। ये याददाश्त और डिसीजन लेने की क्षमता को कमजोर करता है।
रेगुलर शराब पीने से इंसान ब्लैकआउट का शिकार हो जाता है, ये वो स्थिति होती है, जब वह उनकी घटनाओं को याद नहीं रख पाता, जो नशे के दौरान हुईं थी।
शराब में अल्कोहल की मात्रा होती है, जो हमारे मस्तिष्क की मेमोरी कंसॉलिडेशन प्रोसेस को रोक देता है। इससे याददाश्त कमजोर हो जाती है।
शराब पीने से ब्रेने में गामा-अमीनोब्यूट्रिक एसिड (GABA) का लेवल बढ़ जाता है। ये न्यूरोट्रांसमीटर है। जो दिमाग को शांत करता है।
GABA शरीर ग्लूटामेट के लेवल को भी कम कर देता है, जिससे नशे के दौरान सोचने- समझने की क्षमता कम या खत्म हो जाती है।
शराब एक डाइयूरेटिक ( diuretic ) पदार्थ है, ये शरीर से पानी को बाहर निकालने में जुटा रहता है। इसी वजह से नशे किए शख्स को खूब पसीना आता है। इससे सिरदर्द, थकान महसूस होती है।
शराबी शख्स के मस्तिष्क के न्यूरॉन्स में भी बड़े बदलाव हो जाते हैं, उनका आकार सिमट जाता है। इस वजह से भी उसकी याददाश्त कमजोर हो जाती है।
दारू के सेवन से शरीर में ग्लूकोज (शुगर) का लेवल गिर जाता है, जिससे एनर्जी में भारी कमी हो जाती है, इससे व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
शराबी शख्स ज्यादा मिलनसार हो जाता है, वो अपने चीजों के प्रति लापरवाह भी हो जाता है। इससे उसका खुद पर कंट्रोल नहीं रहता है।
रेगुलर शराब पीने वाले की immediate memory बहुत खराब होती है। इन लोगों में अल्जाइमर और अन्य न्यूरोलॉजिकल disorders का खतरा बढ़ा जाता है।