महामारी विज्ञान की कई स्टडी में पता चला है कि डायबिटीज पर वायु प्रदूषण का असर पड़ता है। PM 2·5 के संपर्क में अधिक समय तक रहने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
हवा में मौजूद बेहद महीन कण (PM2.5) के संपर्क में आने से ब्लड शुगर और HBA1C में वृद्धि होती है। इसमें नॉर्मोग्लाइसीमिया, प्रीडायबिटीज और डायबिटीज के सभी प्रकार शामिल हैं।
वायु प्रदूषण से मोटापा या हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोग ज्यादा जोखिम में होते हैं। गर्भवती महिलाओं को डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है। बच्चे पर भी असर होने का डर रहता है।
वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाले बच्चों में टाइप 1 मधुमेह विकसित होने का जोखिम अधिक हो सकता है।
प्रदूषण का स्तर अधिक होने पर घर के अंदर रहने की कोशिश करें। घर में एयर प्यूरीफायर लगा सकते हैं। घर से बाहर निकलने पर N95 या KN95 फिल्टरेशन लेवल वाले मास्क पहनें।
PM (Particulate Matter) हवा में मौजूद कण होते हैं। PM 10 कण का व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। वहीं, PM 2.5 का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है।
ये कण इतने छोटे होते हैं कि फेफड़ों से खून में चले जाते हैं। इससे हृदय या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों, वृद्ध और बच्चों को अधिक जोखिम रहता है।