बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन बचपन में स्टैमरिंग से परेशान थे, उन्हें बोल पाने में दिक्कत आती थी। जब वह 6 साल के थे तब उन्हें यह समस्या हुई थी और 35 साल तक वह इस स्टैमरिंग से जूझते रहें।
स्टैमरिंग या हकलाना एक स्पीच डिसऑर्डर होता है, जिसमें बोलने में रुकावट आती है जिसके कारण एक शब्द को वह बार-बार दोहराते हैं। बच्चों में यह समस्या होना बहुत आम बात है।
किसी शब्द या वाक्य को शुरू करने में दिक्कत, शब्दों को काट काट कर बोलना, बोलने में घबराहट होना, हकलाने के साथ पलकें झुकाना, सिर हिलना, जबड़े को हिलाना आदि।
ऋतिक रोशन बताया था कि हकलाने की समस्या को कम करने के लिए उन्होंने किताबों को जोर-जोर से पढ़ा, ताकि उन्हें अपने शब्द खुद सुनाई दे और धीरे-धीरे उनका आत्मविश्वास बढ़ता गया।
बच्चों की बात को बिना टोकें और बिना सही किया ध्यान से सुनें। अगर बच्चा बार-बार रुक कर बोलता है तो उसे अपनी बात पूरी करने दें। उसे यह महसूस न होने दें कि उसको बोलने की समस्या है।
क्रिएटिव एक्टिविटी जैसे ड्राइंग, क्राफ्ट, डांस, म्यूजिक पेंटिंग में बच्चों को एंगेज करें। यह उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है, जिससे उनका तनाव कम होता है बोलते समय हकलाना कम करते हैं।
बच्चों को सरल शब्दों वाली कहानी और कविता पढ़ने को कहें। यह उनके बोलने की लय और कॉन्फिडेंस को बढ़ाता है।
स्टैमरिंग में सांस के कारण कई बार बच्चे शब्द बोल नहीं पाते हैं। बच्चों को गहरी सांस लेने वाली एक्सरसाइज करवाएं। सांस के साथ बोलने की प्रैक्टिस कराएं, इससे हकलाहट कम होती है।
अगर बच्चे में स्टैमरिंग की प्रॉब्लम ज्यादा है, तो बच्चे को एक्सपर्ट्स की निगरानी में स्पीच थेरेपी, कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी आप दिला सकते हैं।