नर्स अपना पूरा जीवन लोगों के नि:स्वार्थ सेवा में बिता देते हैं। इनके सम्मान में 12 मई को इंटरनेशनल नर्सेज डे मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने की शुरुआत साल 1974 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस की ओर से की गई थी।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक महान नर्स थीं। जिन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की नि:स्वार्थ सेवा में बिता दिया। उन्होंने ही नोबेल नर्सिंग सेवा की शुरुआत की थी।
12 मई 1820 में इटली के फ्लोरेंस में जन्मी नाइटिंगेल एक अमीर घर से ताल्लुक रखती थीं। लेकिन उनपर अमीरी का असर नहीं हुआ।उनके मन में बचपन से ही सेवाभाव था।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल 16 साल की उम्र में अपने पिता से बोलीं थी कि वो नर्स बनना चाहती हैं। ताकि जरूरतमंदों की सेवा कर सकें। घर में विरोध के बावजूद नर्स की पढ़ाई कीं।
1853 में फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने लंदन में महिलाओं का एक अस्पताल खोला। मरीजों की देखभाल के लिए बहुत अच्छी सुविधा मुहैया कराई। उन्होंने अस्पताल की बदहाल स्थिति को सुधारने का काम किया।
1854 में जब क्रीमिया युद्ध हुआ तो सैनिक जख्मी होने, ठंड, भूख और बीमारी से मर रहे थे। इस दौरान नाइटिंगेल ने अस्पताल की व्यवस्था को सुधरवाया। साफ-सफाई का महत्व समझाया।
नाइटिंगेल ने भूखे मरीजों के लिए भोजन और साफ पानी का इंतजाम करवाया। जब मरीज सो रहे होते थे तब उन्हें लालटेन लेकर देखने जाती थीं। इसलिए मरीज उन्हें 'लेडी विद लैंप'कहते थें।
नाइटिंगेल ब्रिटेन लौंटी तो उनके सेवाभावना की हर तरफ चर्चे थे। रानी विक्टोरिया ने पत्र लिखकर उन्हें थैक्यू कहा था। उनके कहने पर सैन्य चिकित्सा प्रणाली में बड़े पैमाने पर सुधार हुआ।
नर्सिंग की दुनिया में फ्लोरेंस नाइटिंगेल का वो योगदान है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज उनके नाम पर अवॉर्ड दिए जाते हैं।