मां के दूध से बच्चे को शुरुआती दौर के सारे पोषक तत्व मिलते हैं। इसके पीने से बच्चों की इम्युनिटी पावर मजबूत होती है। जिससे वो कई रोगों से सुरक्षित रहता है।
कई शोध में यह बात सामने आया है कि ब्रेस्ट मिल्क पीने से बच्चे का दिमाग तेज होता है। इसलिए मां का दूध उनके लिए सर्वोत्तम आहार होता है।
मां के दूध में सारे पोषक तत्व होने जरूरी होते हैं। कई बार ब्रेस्ट मिलक में फैट की मात्रा कम होती है जिसकी वजह से बच्चे का वजन बढ़ता नहीं है वो स्थिर हो जाता है।
मां के दूध में फैट की दिनभर अलग-अलग होती है। ब्रेस्ट मिल्क की 100 ग्राम मात्रा में करीब 75 kcal ऊर्जा व 4.2 ग्राम फैट होता है।
मां को अपने ब्रेस्ट की हल्की मसाज करनी चाहिए। इससे दूध में फैट की मात्रा पढ़ती है। दूध की नलिकाएं साफ होती हैं। इसकी वजह से ब्रेस्ट मिल्क पूरी तरह निकल जाता है।
बच्चे को दोनों ब्रेस्ट का दूध पिलाना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि दोनों ब्रेस्ट बच्चे के दूध पीने के बाद पूरी तरह खाली हो गया हो। अगर दूध बचा रह जाता है तो फैट कम होने लगता है।
अगर बच्चा पूरा दूध नहीं पी पा रहा है तो ब्रेस्ट पंप से ब्रेस्ट को खाली कर लें। ताकि दूध में फैट की मात्रा सही लेबल पर बनी रहें। इतना ही नहीं ऐसा करने से दूध की मात्रा भी बढ़ती है।
दूध पिलाने वाली मां को साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां,अंडा,अलसी के बीज, सूरजमुखी के बीज, सोयाबीन और अन्य फलों का सेवन करना चाहिए। इससे दूध में पौष्टिकता बनी रहती है।