कांथा साड़ी बंगाल की एक अनूठी और सुंदर साड़ी है जिसमें हाथ की कढ़ाई होती है। इन्हें त्यौहारों, शादी व विशेष अवसरों पर पहना जाता है।
तांत साड़ी बंगाल की पारंपरिक साड़ियों में से एक है, जो अपनी खास रेशम की डिजाइन और कढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है। इन्हें विशेष अवसरों पर पहना जाता है।
हैंडलूम साड़ियां सदाबहार रहती हैं। इनको बनाने में सिर्फ आरामदायक मेटेरियल का उपयोग किया जाता है जो इकोफ्रेंडली भी होते हैं। हाथ से बनी इन साड़ियों ग्रेस ही अलग होती है।
गरद रेशम साड़ी की लोकप्रिय शैलियों में से एक है जिसकी उत्पत्ति पश्चिम बंगाल में हुई है। गरद शब्द का अर्थ है 'सफेद'। रेशम की साड़ियों को इसकी लाल सीमा से डिजाइन करते हैं।
जमदानी साड़ियां अपनी दुनिया भर में मशहूरी के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हें उनकी कढ़ाई और चमकदार डिजाइन के लिए जाना जाता है।
बालुचारी साड़ियां अपने विशेष डिजाइन और रंगों के लिए प्रसिद्ध हैं। ये साड़ियां दुर्गा पूजा और खास मौकों पर पहनी जाती हैं।
धाकाई साड़ियां अपनी तंतु की कढ़ाई के लिए प्रसिद्ध हैं और इन्हें विशेष रूप से दुर्गा पूजा पर पहना जाता है।