तवायफ को लेकर आज के दौर में कई गलतफहमियां हैं। उन्हें सेक्स वर्कर के रूप में लोग देखते हैं। लेकिन एक जमाना था जब इनके पास राजा अपने बच्चों को तहजीब सिखने के लिए भेजा करते थे।
तवायफ बनने के लिए कई हुनर होने चाहिए थे। गाना गाना, डांस करना, तहजीब से पेश आना और लोगों को रिझाने की कला में महारत हासिल होना चाहिए थे। तवायफ बनने के लिए कुछ रस्म निभाने होते थे।
तवायफ बनने से पहले 3 रस्म होता था। पहला अगिया रस्म होता था, जिसमें लड़की जब किशोरावस्था में कदम रखती थी तो उसका अंगिया किया जाता है। जिसमें कई तवायफ इकट्ठा होकर उसे ब्रा पहनाती थी।
किसी कोठे पर मिस्सी एक खास रस्म होती थी, जिसमें लड़की के दांतों को काला किया जाता था। तवायफे मिलकर लड़की के दांतों को काला करती थी। फिर नाच गाने का आयोजन किया जाता है।
नथ उतराई कोठे में किसी भी लड़की की पहली रात होती थी। नवाब कुंवारी लड़की की बोली लगाते थे और जो सबसे ज्यादा बोली लगाता था उसके साथ लड़की रात गुजारती थी।
नथ उतराई के दौरान कोठे पर नाच गाने का आयोजन किया जाता था। वर्जिन लड़की की नाक में पहली बार नथ पहनाई जाती थी। नथ उतराई के बाद वो नथ लड़की दोबारा कभी नहीं पहनती थी।