पहले से डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं को प्रेग्नेंट होने से पहले डॉक्टर की निगरानी में खुद को ले जाना चाहिए। प्रेग्नेंसी से पहले और बाद में शुगर लेबल कंट्रोल करने की जरूरत होती है।
डायबिटीज पेशेंट महिलाओं को दवाओं या फिर इंसुलिन का सहारा लेना पड़ता है। प्रेग्नेंसी के दौरान शुगर का बढ़ना जच्चा और बच्चा दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान भी महिलाएं डायबिटीज से पीड़ित हो सकती है जिसे गेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं। आमतौर पर यह बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाता है।
शुगर पर कंट्रोल करने के लिए सख्य निगरानी का जरूरत होती है। टाइम टू टाइम शुगर टेस्ट कराएं। डॉक्टर के बताए दवाओं का सेवन करें। डॉक्टर से लगातार संपर्क में रहें।
प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज कंट्रोल के लिए संतुलित डाइट की जरूरत होती है। किसी डाइटिशियन से डाइट चार्ट तैयार करा लें। छोटे-छोटे लेकिन अधिक बार भोजन करें।
नियमित धीमी गति वाले एक्सरसाइज या वॉक करें। लेकिन इससे पहले अपने डॉक्टर से इसके बारे में बात कर लें। अगर वो अलाउं करते हैं तो फिर रेगुलर इसे करें।
प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलाव से मूड स्विंग होता है। ऐसे में इसे कंट्रोल करने और तनाव को दूर करने के लिए मेडिटेशन करें। अच्छी किताबे और म्यूजिक सुनें।
डिलिवरी का तरीका मातृ एवं भ्रूण की भलाई सहित विभिन्न कारकों के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं को सिजेरियन सेक्शन का खतरा अधिक हो सकता है।