कश्मीरी पंडित परिवार की विवाहित महिलाओं को मंगलसूत्र गले की जगह कान में पहने देखा जाता है। इसे डेजहूर कहा जाता है। जो कि गोल्ड का बना होता है और बहुत खूबसूरत लगता है।
डेजहूर को अथ भी बोला जाता है और यह महीन सी गोल्ड की चेन होती है। इसमें एक लौकेट लटकता है। शादी के दौरान कश्मीरी महिलाओं को अथूर पहनाया जाता है, जो लाल रंग का धागा होता है।
शादी के बाद इसे बदल दिया जाता है और इसके साथ सोने की चेन पहनाई जाती है। इस डेजहूर भी कहते हैं। डेजहूर में लगा लॉकेट षटकोण के आकार का होता है।
आप जब इसे ध्यान से देखेंगे तो डेजहूर में शिव और पार्वती बने होते हैं, जो शुभ विवाह का प्रतीक होते हैं। आमतौर पर कशमीरी महिलाएं कान के अंदर छेद कराकर डेजहूर पहनती हैं।
मगर अब इसे इयररिंग्स जैसे भी पहना जाने लगा है। इसे विवाहित महिलाएं कभी कान से नहीं उतारतीं। अगर पति की मृत्यु भी हो जाए, तब भी उन्हें ये पहनना होता है।
ससुराल की तरफ से लड़की को अथूर दिया जाता है। बाद में यह दुल्हन की पसंद है कि वह अथूर को कब सोने की चेन में पड़वाएं।
बताया जाता है कि शादी के एक साल तक महिलाएं अथूर ही कैरी करती हैं और फिर वे डेजहूर पहनती हैं।