राजस्थान में पानी की कमी के चलते बर्तन साफ करने के लिए राख का इस्तेमाल किया जाता था। यह प्राकृतिक तरीका न केवल सस्ता और प्रभावी था, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित था।
लकड़ी की जलन से निकली राख का उपयोग बर्तन साफ करने में किया जाता था, क्योंकि इसमें ग्रीस और तेल को हटाने की प्राकृतिक क्षमता होती है।
बर्तन साफ करने के लिए राख का इस्तेमाल एक प्राकृतिक और सस्ता उपाय था, जिसमें किसी रासायनिक सर्फ या साबुन की जरूरत नहीं पड़ती थी।
राजस्थान के सूखे क्षेत्रों में पानी की किल्लत को देखते हुए बर्तनों को साफ करने के लिए पानी का उपयोग कम किया जाता था और राख का इस्तेमाल किया जाता था।
राख में मौजूद एश और छोटे कण बर्तनों की सतह पर जमा तेल और चिकनाई को आसानी से साफ कर देते थे, जिससे बर्तन चमक उठते थे।
यह पर्यावरण के अनुकूल तरीका था, जिसमें किसी भी प्रकार के हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल नहीं होता था, जिससे प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचता और न ही पानी की बर्बादी होती है।