लखनवी vs चिकनकारी: कढ़ाई में जान लें अंतर, मत बन जाना बेवकूफ
Other Lifestyle Oct 02 2024
Author: Shivangi Chauhan Image Credits:instagram
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चिकनकारी की उत्पत्ति
चिकनकारी का जन्म लखनऊ में हुआ और यह कढ़ाई की सबसे फेमस और विशिष्ट शैली है। इसका इतिहास मुगल काल से जुड़ा हुआ है।
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लखनवी कढ़ाई
लखनवी कढ़ाई से तात्पर्य लखनऊ में विकसित विभिन्न कढ़ाई की शैलियों से है, जिसमें चिकनकारी भी शामिल होती है। इसलिए, लखनवी कढ़ाई एक बड़ी रेंज है।
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चिकनकारी पैटर्न
चिकनकारी एक नाजुक और बारीक हाथ की कढ़ाई है, जो स्पेशल रूप से सूती कपड़े पर की जाती है। इसमें अलग-अलग टांके और पैटर्न का इस्तेमाल होता है, जैसे कि बखिया, फंदा और जाली वर्क।
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लखनवी कढ़ाई पैटर्न
लखनवी कढ़ाई का दायरा चिकनकारी से ज्यादा है, क्योंकि इसमें पारंपरिक कढ़ाई की शैलियां भी हैं, जैसे जरी वर्क, मुकैश वर्क, और कटदाना वर्क। यह कढ़ाई हाथ से और मशीन से भी की जा सकती है।
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चिकनकारी डिजाइन
चिकनकारी डिजाइन आमतौर पर फूलों, पत्तियों, जालीदार पैटर्न और ज्यामितीय आकृतियों पर आधारित होते हैं। यह कढ़ाई बहुत बारीक होती है, जिससे कपड़े पर हल्की और नाजुक बनी रहती है।
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लखनवी डिजाइन
लखनवी कढ़ाई में चिकनकारी के अलावा जरी, रेशमी धागे, और सुनहरे-सिल्वर वर्क का इस्तेमाल होता है, जो इसे अधिक रॉयल और शाही लुक देता है।
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चिकनकारी कपड़ा और रंग
चिकनकारी मूल रूप से सफेद धागे से की जाती थी, खासकर सफेद कपड़ों पर, लेकिन अब यह कई रंगों में उपलब्ध है। इसे मलमल, कॉटन, ऑर्गेंजा और जॉर्जेट पर किया जाता है।
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रंग और कपड़ा
लखनवी कढ़ाई में रंगों का अधिक इस्तेमाल होता है और इसमें गोल्ड और सिल्वर थ्रेड वर्क भी शामिल हो सकते हैं। लखनवी कढ़ाई को शिफॉन, सिल्क, जॉर्जेट और अन्य महंगे कपड़ों पर किया जाता है।