पितृपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से शुरू हो गई है और 14 अक्टूबर तक रहेंगे। भाद्रपद मास के पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक यह रहता है।
पितृपक्ष में गया में पिंडदान करने का महत्व होता है। गया को मोक्षस्थली कहा जाता है। धर्मग्रंथों में लिखा है कि या में भगवान विष्णु स्वयं पितृदेव के रूप में निवास करते हैं।
गया में जाकर बाल नहीं उतरवाने चाहिए, बल्कि पहले ही मुंडन कराके वहां जाएं। दूध चावल की खीर और खोवा से बना पिंड उत्तम माना गया है। पलाश के पत्ते पर पिंडदान करें।
गया में आप जाए और तिलकुट ना खाएं ऐसा हो ही नहीं सकता है। गया का यह फेमस स्वीट है जो गुड़ या चीनी के साथ तिल को कूटकर बनाया जाता है।
चावल, गुड़ और तिल और मावा से बनाई जाने वाली यह स्वीट भी यहां काफी फेमस है। इसे यहां खाई और घर लेकर जाइए।
बालूशाही पूरे बिहार का फेमस स्वीट है। ये हर मिठाई के दुकान पर आपको मिल जाएगी। खाने में टेस्टी होता है और इसकी लॉन्ग लाइफ होती है।