कांजीवरम साड़ी रेशम से बनाई जाती है जो अपने समृद्ध और कठिन बनाई के लिए फेमस है। तमिलनाडु में बनाई जाने वाली यह साड़ी शिल्प कौशल और आश्चर्यजनक डिजाइन के लिए यह जानी जाती है।
कांचीवरम साड़ी बनाने के लिए हाई क्वालिटी की रेशम के धागे खरीदे जाते हैं। रेशम फार्मों से इसे खरीदे कर बुनकर लाते हैं।
रेशम के धागों की होती है रंगाईडिजायर कलर पाने के लिए रेशम के धागों को नेचुरल या फिर केमिकल कलर से रंगा जाता है। पारंपरिक कांजीवरम साड़ियां अपने डिफरेंट रंग के लिए जाने जाते हैं।
कांजीवरम साड़ी में सोने की जरी से बुनाई की जाती है। सोने की जरी बनाने के लिए चांदी के तारों को सोने में डुबोया जाता है। फिर इन ज़री धागों को स्पूल पर लपेटा जाता है।
कांजीवरम साड़ियों की बुनाई एक खास और मेहनत वाली प्रक्रिया है। साड़ी बुनकर पारंपरिक हथकरघे पर इसे बुनते हैं।बॉर्डर और पल्लू को अलग से बुना जाता है और फिर साड़ी से अटैच किया जाता है।
साड़ी में उसके डिजाइन के अनुसार जरी को बुना जाता है। बुनाई की प्रक्रिया लंबी होती है। एक साड़ी को पूरा कने में कई सप्ताह लग सकते हैं।
कांजीवरम साड़ी की खास इंटरलॉकिंग की जाती है। यह साड़ी पर एक खूबसूरत पैटर्न बनाती है। इस तकनीक के लिए अत्यधिक कौशल और सटीकता की आवश्यकता होती है।
साड़ी बुनने के बाद, इसे धोने और पॉलिश करने सहित कई प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। साड़ी को सख्त करने और उसे एक खास बनावट देने के लिए चावल के स्टार्च के मिश्रण में भिगोया जाता है।
पल्लू अक्सर कांजीवरम साड़ी का सबसे खूबसूर हिस्सा होता है। जिसमें कठिन और बेहतरीन डिजाइन बनाए जाते हैं। बुनकर इस हिस्से को अलग दिखाने के लिए इस पर विशेष ध्यान देते हैं।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक साड़ी कांजीवरम साड़ियों से जुड़ी शिल्प कौशल के उच्च मानकों को पूरा करती है, प्रत्येक साड़ी एक हार्ड क्वालिटी चेक से गुजरती है।
क्वालिटी चेक के बाद इसे बेचने या एक्सपोर्ट करने के लिए पैक कर दिया जाता है। अलग-अलग रेंज में यह मौजूद होता है। लेकिन एक अच्छी कांजीवरम साड़ी की कीमत 15 हजार से लाखों तक जाती है।