पोल्की बैंगल्स हर महिल को पसंद होते हैं। मुगलकालीन और राजस्थानी कला से तैार किये जाने वाले इन कड़ों की खासियत इनमें लगा बिना तराशा हुआ हीरा होता है। जो इसे खास बनाते हैं।
पोल्की से अलग रजवाड़ी बैंगल राजस्थानी शाही डिजाइन के साथ आते हैं। इसे बारीक और ट्रेडिशनल पैटर्न पर तैयार किया जाता है। ऐसे कड़े रानी-महरानी पहनना पसंद करती थीं।
रजवाड़ी में जहां बेस गोल्ड का होता है तो पोल्की में कच्चे हीरों को सोने पर सेट किया जाता है। ये सिंपल से लेकर जड़ाऊ डिजाइन में आते हैं। इनमें अक्सर एक जैसी डिजाइन दी जाती है।
पोल्की में जड़ाऊ तो रजवाड़ी कंगनों में कुंदन-मीनाकरी का काम किया है। ये बैंगल पन्ना, मोती और मणिका रत्नों से तैयार होते हैं। जबकि पोल्की में हीरे का काम होता है।
पोल्की बैंगल्स का यूज शादी-ब्याह में ज्यादा किया जाता है। ये रजवाड़ी कंगनों के मुकाबले महंगे होते हैं। कच्चे हीरों के कारण इन कंगनों में खास चमक भी होती है।
पोल्की बैंगल आपको हीरों या फिर मीनाकरी में मिलेंगे जबकि रजवाड़ी कंगनों की रत्नों से लेकर मेटल तक कई रेंज मिल जायेंगे। ये अफॉर्डेबल होने के साथ रॉयल भी लगते हैं।
पोल्क-रजवाड़ी कंगन दोनों अपनी खूबियों के साथ आते हैं लेकिन जब बात बजट की आती है तो रजवाड़ी कंगन अफॉर्डेबल रेंज में मिल जाते हैं जबिक पोल्की कड़े थोड़े महंगे होते हैं।