अगर आप घर में माता रानी की मूर्ति स्थापित करने जा रही हैं। तो पंडाल हमेशा उस जगह से दूर सजाएं जहां पर जूता-चप्पल पहनकर लोग आते जाते हैं। खाना खाते हैं। साफ जगह पर दरबार सजाएं।
पूजा स्थल पर देवी की खंडित या पुरानी, टूटी-फूटी मूर्ति या चित्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। ऐसी मूर्तियों और चित्रों से पूजा करने से माता का अपमान होता है।
माता का दरबार सजाते समय जो वस्त्र उपयोग में लाए जाते हैं, वे बिल्कुल स्वच्छ और साफ होने चाहिए। अशुद्ध या गंदे कपड़े से देवी का आशीर्वाद प्राप्त नहीं किया जा सकता।
दरबार सजाने की दिशा भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। पूजा स्थल को उत्तर-पूर्व दिशा में सजाना शुभ माना जाता है। माता का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
बिना सुगंध वाले या मुरझाए हुए फूलों का उपयोग न करें। माता को ताजे, सुगंधित और सुंदर फूल अर्पित करें। लाल रंग के फूल विशेष रूप से मां दुर्गा को प्रिय होते हैं।
पूजा के समय आवश्यक सामग्री जैसे नारियल, फूल, फल, पान, सिंदूर, चूड़ियां, मिठाई आदि की पूरी व्यवस्था रखें। अधूरी सामग्री से पूजा का फल नहीं मिलता है। पूजा की पूरी सामग्री होनी चाहिए।
पूजा में दीपक का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह पूजा की पवित्रता और पॉजिटिविटी का प्रतीक है। हमेशा ध्यान रखें कि दीपक में तेल हो। दीपक का बुझना अशुभ माना जाता है।