चाणक्य के नीति में जीवन के कई पहलुओं पर मार्गदर्शन करने वाले कई विचार हैं। अगर इसे आत्मसात कर लें तो आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। बच्चों का जीवन भी सफलता से भर जाएगा।
चाणक्य कहते हैं,'विद्या धनम सर्वस्वं, प्रमादं च निरर्थकम्।' मतलब शिक्षा जवीन में सबसे अमूल्य संपत्ति है। इसके बिना सफलता प्राप्त करना कठिन होता है। शिक्षा सीखने की प्रक्रिया है।
सफलता बिना कठिन परिश्रम के नहीं मिलती है। टारगेट को पूरा करने के लिए समर्पण और कोशिश बहुत ही जरूरी है। बच्चे अगर यह बात गांठ बांध लें तो जीवन में सफलता कदम चूमेगी।
चाणक्य कहते हैं कि ज्ञान और सम्मान तभी प्राप्त होते हैं जब व्यक्ति विनम्र होता है। अहंकारी इंसान न तो सीख सकता है और न ही सम्मान पा सकता है। बच्चों को विनम्र होना चाहिए।
सच्चा मित्र वहीं हो अच्छे बुरे वक्त में साथ रहें। ऐसा मित्र सही नहीं जो आपको बुराई के रास्ते पर लेकर जाए। अच्छा मित्र आपको अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करते हैं।
क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। क्रोध से निर्णय क्षमता कमजोर हो जाती है और गलतियां होने की आशंका बढ़ जाती है। बच्चों को सिखाना चाहिए कि वो गुस्सा करने से बचे।