पिंगली वेंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी थे। वह गांधीवादी विचारक थे और उन्होंने ही भारत का राष्ट्रीय ध्वज बनाया था।
पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 को मछलीपट्टनम, अब आंध्र प्रदेश के पास भाटलापेनुमारु गांव में हुआ था।
पिंगली वेंकैया ने ना सिर्फ भारत का राष्ट्रीय ध्वज बनाया, बल्कि वह एक मशहूर भाषाविद, लेखक, भूवैज्ञानिक भी थे। उन्होंने कैम्ब्रिज से भूविज्ञान, कृषि और भाषा का ज्ञान लिया था।
पिंगली वेंकैया अपनी युवावस्था के दौरान साउथ अफ्रीका गए थे, जहां 1899-1902 तक दूसरे बोअर युद्ध में उन्होंने ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिक के रूप में लड़ाई लड़ी थी।
1916 में पिंगली वेंकैया ने एक पुस्तक प्रकाशित की थी, जिसमें उन्होंने भारतीय ध्वज बनाने के लिए 30 डिजाइन की पेशकश की थी।
झंडे में केसरिया और हरा रंग देश में हिंदू और मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने के लिए जोड़ा। गांधीजी के सुझाव पर सभी संप्रदायों और धर्म में एकजुटता दिखाने के लिए सफेद पट्टी जोड़ी गई।
महात्मा गांधी ने विजयवाड़ा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक के दौरान पिंगली वेंकैया की डिजाइन को मंजूरी दी। जिसमें खादी के कपड़े पर नारंगी और हरे रंग का झंडा बनाया गया था।
22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक के दौरान भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को मंजूरी दी गई जैसा वह आज दिखता है। जिसमें 3 रंग और बीच में एक अशोक चक्र है।
पिंगली वेंकैया ने 4 जुलाई 1963 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वह वाकई हमारे स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक थे, जिन्होंने देश के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया।