अक्सर हमें लगता है कि लहंगे हमेशा एक ही तरीके के होते हैं। बल्कि लहंगा कलीदार, घेरदार, ओरेब कट, लांचा अलग-अलग तरीके के होते हैं। आज हम आपको बताते हैं लहंगा और लांचा में अंतर-
लहंगा हमेशा कलीदार और घेरदार होता है, जो बहुत ही ज्यादा ग्रेसफुल लगता है। इसमें 8,10,12,16,36 यहां तक की 80 कलियां भी डाली जाती हैं।
इन दिनों मार्केट में आपको पैनल, ए लाइन, फिश कट, स्लिट वाले कई सारे लहंगे की वैराइटी मिल जाएंगे। लेकिन मूल रूप से लहंगा घेरदार और फ्लोर लेंथ ही होता है।
लहंगे की ही दूसरी वैरायटी लांचा होती है, लेकिन लांचा ज्यादा घेरदार नहीं होता है। इसमें कलियां नहीं होती है। यह अंब्रेला कट में बना होता है।
लहंगा कलीदार और फ्लेयर वाला होता है, इसलिए इसका वजन ज्यादा होता है। जबकि लांचा हल्का होता है और इसमें रेशम के धागों का ही इस्तेमाल किया जाता है।
लहंगे को छोटे ब्लाउज के साथ कैरी किया जाता है, जैसा ब्लाउज हम साड़ी के साथ पहनते हैं। जबकि लांचा में चोली की लेंथ कमर तक होती है या फिर इसे अनारकली कुर्ते पर भी पहना जा सकता है।
लांचा राजस्थान का एक ट्रेडिशनल अटायर है, जिसे महिलाएं अमूमन पहनती हैं। इसमें हल्की-फुल्की एंब्रॉयडरी, गोटा पट्टी वर्क या लेस लगाई जाती है।