बिना किसी शर्त के प्रेम करना, बिना किसी इरादे के बात करना, बिना किसी कारण के देना, बिना किसी अपेक्षा के परवाह करना, यही सच्चे प्रेम की भावना है।
शाश्वत प्रेम भौतिक से परे हैं, आध्यात्मिक है। यह प्रेम शाश्वत है। अगर ऐसा प्रेम किसी को हो जाए तो फिर रिश्ते में कभी भी कोई तनाव नहीं आएगा।
यदि आप प्रेम को समझना चाहते हैं, तो अपनी आंखों का उपयोग न करें। अपनी आंतरिक आंखें खोलें क्योंकि सत्य सुंदरता से जुड़ा नहीं है। यह भावना से संबंधित है।
जिसके पास कोई अटैचमेंट नहीं है वह दूसरों से प्रेम कर सकता है क्योंकि उसका प्रेम पवित्र और स्वर्गीय होगा।
जो कुछ भी करना है करो, लेकिन अहंकार से नहीं, वासना से नहीं, ईर्ष्या से नहीं बल्कि प्रेम, करुणा, विनम्रता और भक्ति से।
दूसरों में पूर्णता की तलाश करना बेवकूफी है, जबकि वह खुद पूर्ण नहीं हैं। मतलब किसी में परफेक्शन की तलाश नहीं करें,क्योंकि कोई भी परफेक्ट नहीं होता है।
जीवन की यात्रा में, हम कई आत्माओं से मिलते हैं। कुछ भाग्य से जुड़े रहते हैं, अन्य कर्म से। मतलब कुछ ऐसे लोगों से मिलते हैं जो भाग्य से जुड़ते हैं और कुछ काम से।
अटैचमेंट से इच्छा पैदा होती है और इच्छा दुख का कारण होता है।सच्चा प्यार अटैचमेंट से फ्री होता है।सच्चे रिश्ते अपेक्षाओं से बंधे नहीं होते बल्कि स्वतंत्रता और विश्वास में पनपते हैं।
जब कोई इंसान इंद्रिय सुख पर ध्यान फोकस करता है तो उसमें अटैचमंट पैदा होती है। इससे इच्छा पैदा होती है और इच्छा से क्रोध पैदा होता है। इसलिए बिना अटैचमेंट के प्रेम करें।