1960 के दशक में बर्थ कंट्रोल पिल्स, कॉपर-टी व गोलियों का भी चलन हुआ। हजारों साल पहले मिस्र में मगरमच्छ के मल से लेकर आधुनिक यूरोप-अमेरिका में गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल हुआ।
गर्भनिरोध के लिए सारे उपाय महिलाओं को ही करने पड़ते थे। पुरुष हमेशा से गर्भनिरोधक के झमेले से दूर रहे। वो नसबंदी को नपुंसकता तो कंडोम में यौन सुख कम करने वाली रुकावट मानते रहे।
आधुनिक युग में गर्भनिरोधक का सारा बोझ महिलाओं पर डालते वाली सोच पर सवाल उठना भी लाजिमी हो जाता है। गर्भनिरोधक के क्षेत्र में 4 हजार साल की प्रथा अब बदलने वाली है।
ICMR ने पुरुषों के लिए इस गर्भनिरोधक इंजेक्शन को मंजूरी दी है। यह इंजेक्शन 99% तक सफल बताया जा रहा है। इसके साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।
7 सालों तक 303 शादीशुदा पुरुषों पर रिसर्च की। इन पुरुषों को रिवर्सिबल इनहिबिशन ऑफ स्पर्म इंजेक्शन लगाया गया। रिसर्च में इंजेक्शन 13 सालों तक प्रेग्नेंसी रोकने में 99% कारगर है।
यह इंजेक्शन महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले किसी भी गर्भनिरोधक से ज्यादा कारगर है, यानी इसमें अनचाही प्रेग्नेंसी का खतरा सबसे कम है, 1% से भी कम।
भारत में अपनाए जाने वाले परिवार नियोजन के सभी तरीकों में 35.7 प्रतिशत हिस्सेदारी महिला नसबंदी की है। जबकि पुरुष नसबंदी का आंकड़ा महज 0.3 प्रतिशत है।