टीवी एक्ट्रेस करिश्मा तन्ना बचपन में काफी दर्द सहे हैं। उन्होंने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में अपने बारे में कई चीजें खुलकर बताईं। उन्होंने जेंडर बायस पर भी कई बातें बताईं।
करिश्मा तन्ना कहती है कि मैंने घर में बहुत संघर्ष और बहस देखी है। 14-15 साल की उम्र में ही मैंने तय कर लिया था कि मैं वह सब करूंगी, जो एक पुरुष कर सकता है।
अदाकारा ने बताया कि जब मैं पैदा हुई थी तो मेरी मां खूब रोई थीं। वो मेरी पैदाइश पर खुश नहीं थी। उन्होंने 3 दिन तक मेरा चेहरा नहीं देखा था।
करिश्मा बताती है कि वे निराश तीं। उन्हें बेटी नहीं बेटा चाहिए था। उन्होंने कहा कि हालांकि, यह निराशा परिवार की नहीं, बल्कि समाज और संयुक्त परिवार के दबाव के कारण थी।
करिश्मा तन्ना ने कहा कि ऐसा कोई काम नहीं है जिसे लड़का कर सकता है लड़की नहीं। सामाजिक प्रेशर की वजह से मेरे साथ काफी दिक्कत हुई। लेकिन मैंने ठाना था कि मैं आत्मनिर्भर बनूंगी।
करिश्मा तन्ना की कहानी यह दिखाती है कि कैसे सोशल दबाव में माता-पिता के डिसिजन और फैमिली कनेक्शन को प्रभावित कर सकते हैं।माता-पिता अपनी बेटी के होने पर खुशी नहीं जता पाते हैं।
लिंग भेदभाव की वजह से एक महिला जिसे उसका हर संतान प्यारा होता है वो भी अपनी बेटी के साथ रुखाई से पेश आती है। वो फैमिली और सोशल प्रेशर में तनाव में रहती है।
करिश्मा तन्ना भेदभाव के माहौल में भी अपने लिए एक अलग रास्ता बनाते हुए आत्मनिर्भर बनीं। आज उनके पैरेंट्स उनपर गर्व करते हैं। तरक्की के बाद सोशल दबाव भी कम हो जाता है।