शादी और लीव इन में रहने के बीच का चुनाव बेहद निजी है। लेकिन बेहतर क्या है यह वैल्यू और प्रायोरिटी पर निर्भर करता है। दोनों के अपने फायदे-नुकसान है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
शादी सुरक्षा लेकर आता है। जैसे विरासत अधिकार, टैक्स बेनिफिट्स, मेडिकल इंश्योरेंस, टर्म प्लान जीवनसाथी को मिलता है।
लीव इन में रहने पर दोनों को ना तो संपत्ति का अधिकार मिलता है और ना ही दोनों की ज्वाइंट मेडिकल इंश्योरेंस हो सकती है। कई कानूनी अधिकार भी इस रिश्ते को नहीं मिलती है।
शादी को पारंपरिक रूप से एक दूसरे के प्रति स्ट्रॉन्ग कमिटेमेंट के रूप में देखा जाता है। कई लोग शादी को संस्कृति से जोड़कर भी देखते हैं।
लीव इन शादी की तुलना में ज्यादा फ्लेक्सिबल होता है। कपल अपनी कमिटमेंट को औपचारिक रूप दिए बिना एक सात रहना चुन सकते हैं। जरूर पड़ने पर दोनों अलग भी हो सकते हैं।
शादी को समाज में व्यापक पूर से मान्यता मिलती है। कपल के बीच कोई भी दिक्कत होने पर समाज उन्हें समझता है, साथ रहने के लिए प्रेरित करता है।
शादी के इतर लीव इन में रहना समाज नहीं पसंद करता है। भारत की संस्कृति में इसे स्वीकार नहीं किया गया है। आज भी लोग इसे गलत निगाह से देखते हैं।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि शादीशुदा कपल के लीव इन में रहने वाले जोड़ों की तुलना में जीवन में स्थिरता ज्यादा होती है। यहां तक कि उनका उम्र भी ज्यादा होता है।
लीव इन में ब्रेकअप की स्थिति में साथ रहने वाले जोड़ों को कम कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उनके पास विवाहित जोड़ों के समान कानूनी दायित्व नहीं होता है।