सच्चा प्रेम आपको ईश्वर के करीब ले जाता है ना कि उनसे दूर करता है। आपको अपने जीवन साथी से सच्चा प्रेम करना चाहिए।
वैवाहिक जीवन में असली प्यार तभी प्रकट होता है जब मैं और मेरा गायब हो जाते हैं। प्रेम में कोई भी स्वार्थ नहीं होता है। प्रेम में समर्पण होता है।
ऐसा विवाह जिसमें परमेश्वर की सेवा शामिल हो,वही सच्ची खुशी लेकर आता है। जिन रिश्तों में क्लेश होता है उसमें खुशी नहीं होती।
विवाह में प्रेम तभी कायम होता है, जब पति और पत्नी दोनों ही धर्म के मार्ग पर चलते हैं।
प्रेम लेने के बारे में नहीं है। यह देने और सेवा करने के बारे में है। बिना शर्त का प्यार ही आपकी शादी के बंधन को मजबूती से बंधे रखता है।
एक दूसरे के गुणों पर ध्यान देना चाहिए दोषों पर नहीं। यही सुखी वैवाहिक जीवन का मंत्र है। आप कुछ बातों को माफ भी कर सकते हैं।
जब अहंकार खत्म हो जाता है, तभी प्रेम अपनी जगह लेता है। पति और पत्नी को अपने अहंकार को त्याग देना चाहिए।
सफल वैवाहिक जीवन तभी संभव है, जब आप अपने साथी को समझेंगे। विवाह में कम शब्दों और भावनाओं का अधिक इस्तेमाल होना चाहिए।
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