“मैं सब बदल दूंगा” जैसी बातें अगर बिना इरादे के कही जाएं, तो वे लंबे समय में भरोसा तोड़ सकती हैं।
गिफ्ट्स देने से नाराजगी थोड़ी देर के लिए छुप सकती है, लेकिन जड़ से खत्म नहीं होती। असली समाधान भावनाओं की बात से आता है।
माफी सिर्फ एक शब्द नहीं, एक इमोशन है। बिना समझे और महसूस किए बार-बार “सॉरी” बोलना आपकी बात को कमजोर बना सकता है।
पर्सनल झगड़े में दूसरों को शामिल करना कई बार ठीक नहीं होता। इससे शर्मिंदगी और असहजता दोनों बढ़ सकते हैं।
सीरियस माफीनामे या बातचीत के लिए केवल टेक्स्ट पर भरोसा न करें। जब बात भावनाओं की हो, तो फेस-टू-फेस या कम से कम कॉल पर बात करना बेहतर होता है।
हर इंसान को गुस्सा शांत करने और चीज़ें समझने के लिए टाइम चाहिए। जल्दी-जल्दी में मनाने की कोशिश रिश्ते में दबाव पैदा कर सकती है।
अगर आप हर बार खुद को बचाने में लगे रहेंगे, तो वो महसूस करेंगे कि आप सिचुएशन नहीं, सिर्फ अपनी इमेज बचा रहे हैं।
“छोड़ो यार, कुछ नहीं हुआ” जैसे जवाब देने से नाराज पार्टनर और ज्यादा हर्ट हो सकते हैं। इससे उन्हें लगेगा कि आप उनकी भावनाओं को समझना ही नहीं चाहते।
अगर वे कुछ कह रहे हैं तो उन्हें सुनिए। जवाब देने के लिए नहीं, समझने के लिए सुनिए। बहस करने से स्थिति और बिगड़ सकती है।
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