पाकिस्तानी आतंकवाद हो या देश के भीतर कानून-व्यवस्था की बात, हर जगह सिर्फ एक ही नाम आता है, वह है अजीत डोवाल। पीएम मोदी के विश्वस्त डोवाल को भारत का जेम्स बांड भी कहा जाता है।
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड के घीरी बेनेलस्यून गांव में 20 जनवरी 1945 को अजीत डोवाल का जन्म हुआ। इनके पिता मेजर गुणानंद डोवाल आर्मी ऑफिसर थे।
अजीत डोवाल को भारतीय जेम्स बांड इसलिए कहा जाता है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। अजीत डोवाल दुनिया की भू-राजनीति और सुरक्षा सहित खुफिया मुद्दे की गहरी जानकारी रखते हैं।
अजीत डोवाल की पढ़ाई किंग्स जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल अजमेर से हुई है। दिसंबर 2017 में उन्हें आगरा यूनिवर्सिटी से साइंस की मानद डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया गया।
1999 में जब भारतीय विमान आईसी-814 को अपहरण हुआ, उस वक्त पैसेंजर्स को छुड़ाने और आतंकियों से बातचीत में अजीत डोवाल ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
अजीत डोवाल पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट के तौर पर 7 साल बिता चुके हैं। वे आईबी से 2005 में रिटायर हुए। यही वजह है कि पाकिस्तानी आतंकवाद पर उन्होंने करारा प्रहार किया।
अजीत डोवाल भारत के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाए गए। मई 2014 में उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने तिरकिट में फंसी 46 भारतीय नर्सों को सकुशल निकाला।
1984 में खालिस्तानी चरमपंथ को समाप्त करने और ऑपरेशन ब्लूस्टार में अजीत डोवाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने जरूरी खुफिया जानकारियां इकट्ठा की और ऑपरेशन को सफल बनाया।
पाकिस्तान के खिलाफ एयर स्ट्राइक करने में अजीत डोवाल का ही दिमाग लगा था। तब भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकी अड्डों को तहस-नहस कर दिया था।
एनएसए अजीत डोवाल ने करीब 6 साल तक पुलिस में भी सेवा दी है। उनके इस काम के लिए उन्हें यंगेस्ट पुलिस ऑफिसर का मेडल मिल चुका है।