2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप के सभी 11 दोषियों को वक्त से पहले रिहा करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने कैंसिल कर दिया है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने सभी 11 दोषियों को 2 सप्ताह में सरेंडर करने को कहा है। SC के इस फैसले के बाद बिलकिस के घर पर पटाखे फोड़े गए।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा- सजा क्राइम रोकने के लिए दी जाती है। पीड़िता की तकलीफ को भी समझने की जरूरत है।
बेंच ने कहा-गुजरात सरकार को रिहाई के फैसले का कोई हक नहीं। वो दोषियों को कैसे माफ कर सकती है। बता दें कि गुजरात सरकार ने 15 अगस्त, 2022 को सभी दोषियों को रिहा कर दिया था।
बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों में राधेश्याम शाह, शैलेष भट्ट, मितेश भट्ट, प्रदीप मोधिया, रमेश चंदना, गोविंदभाई, जसवंतभाई, राजू सोनी, विपिनचंद्र सोनी, केसर और बाकाभाई वोहानिया हैं।
बता दें कि फरवरी, 2022 के आखिर में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस से आ रहे 59 कारसेवकों को जिंदा जला दिया गय था। इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे थे।
3 मार्च, 2002 को दंगों के दौरान दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव में भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई थी। इस दौरान खेत में छुपी बिलकिस के साथ दंगाइयों ने गैंगरेप किया।
बाद में गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया। जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी। बाद में सभी को गोधरा जेल में भेज दिया गया था।