अफगानिस्तान में रिक्टर स्केल पर 6.1 तीव्रता का भूकंप आया है। इसके झटके पाकिस्तान से लेकर जम्मू-कश्मीर और दिल्ली तक महसूस किए गए हैं। भूकंप का केंद्र 220 किलोमीटर गहराई में था।
रिक्टर स्केल वह पैमाना है जिससे दुनियाभर में भूकंप की तीव्रता को मापा जाता है। इसे 1935 में चार्ल्स एफ. रिक्टर ने विकसित किया था। इससे भूकंप से निकलने वाली ऊर्जा को मापा जाता है।
रिक्टर स्केल ओपन-एंड है। अधिकांश भूकंप 2.0 - 9.0 तीव्रता के बीच आते हैं। 2.0 से कम तीव्रता के भूकंप लोगों को महसूस नहीं होते।
2.0-2.9 तीव्रता के भूकंप को इंसान महसूस करते हैं। इससे शायद ही कभी नुकसान होता है। 3.0-3.9 तीव्रता के भूकंप को हल्का भूकंप माना जाता है। इससे शायद ही कभी महत्वपूर्ण नुकसान होता है।
4.0-4.9 तीव्रता के भूकंप को मध्यम माना जाता है। इससे घर के अंदर की वस्तुएं हिलने लगती हैं। खड़खड़ाहट की आवाजें भी आती हैं। इस भूकंप से बड़ी क्षति की संभावना नहीं होती।
5.0-5.9 तीव्रता को स्ट्रॉग भूकंप कहा जाता है। इससे इमारतों और अन्य संरचनाओं को नुकसान पहुंचता है।
6.0 - 6.9 तीव्रता के भूकंप को भीषण माना जाता है। इससे आबादी वाले क्षेत्रों में बहुत नुकसान होता है। हर साल करीब 100 भूकंप इस तरह के आते हैं।
7.0 और इससे अधिक तीव्रता का भूकंप विनाशकारी होता है। इससे बड़े पैमाने पर नुकसान होता है। कई बार हजारों लोगों की जान जाती है। दुनियाभर में एक साल में ऐसे भूकंप 10-20 बार आते हैं।
8 से 10 तीव्रता के भूकंप साल में एक बार या इससे भी कम आते हैं। इससे बहुत अधिक नुकसान होता है। 10 से अधिक तीव्रता का भूकंप अभी तक रिकॉर्ड नहीं किया गया है।
भूकंप से कितना नुकसान होगा यह तीव्रता के साथ ही इस बात पर भी निर्भर करता है कि उसके केंद्र की गहराई कितनी है और संबंधित जगह केंद्र से कितनी दूर है।
भूकंप बहुत अधिक गहराई में आता है तो जमीन पर नुकसान कम होता है। इसी तरह गहराई कम होने पर नुकसान अधिक होता है। भूकंप के केंद्र से दूरी बढ़ने के साथ नुकसान कम होने की संभावना रहती है।