दुनिया में सबकुछ खेती पर निर्भर है। खेती ही सबकुछ है।
भोजन इस संसार में जन्म लेने वाले सभी लोगों का नैतिक अधिकार है।
पृथ्वी पर किसान ही मनुष्यों में एकमात्र अपरिहार्य है।
अगर खेती गलत हो गई तो किसी और चीज को सही होने का मौका नहीं मिलेगा।
नेतृत्व एक ऐसी चीज़ है जिसे अन्य लोगों को पहचानना होगा। आप यह दावा नहीं कर सकते कि मैं एक नेता हूं।
मेरे लिए कृषि संस्कृति का एक सुंदर रूप है।
इस दुनिया में खेती-किसानी ही एक पेशा है जो आशा का पेशा कहा जाता है। यह संभावनाओं पर ही रहता।
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