कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो जिस तरह खालिस्तानी आतंकियों का समर्थन कर रहे हैं, वो सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कनाडा के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
दरअसल, खालिस्तानी आतंकी 38 साल पहले एक ऐसी घटना को अंजाम दे चुके हैं, जिसमें 329 बेगुनाह लोग मारे गए थे। इसमें 268 यात्री कनाड़ा मूल के थे।
23 जून, 1985 को एयर इंडिया की फ्लाइट-182 (कनिष्क) टोरंटो से मॉन्ट्रियल के लिए उड़ान भरती है। इसके बाद यहां से ये विमान लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरता है।
इस विमान में 307 यात्री और 22 क्रू मेंबर्स समेत कुल 329 लोग थे। विमान जब लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे से 45 मिनट की दूरी पर था, तभी अचानक रडार से गायब हो गया।
कुछ देर बाद ब्रिटेन के एक कार्गो विमान का पायलट ATC को मैसेज भेजता है कि उसे एयर इंडिया की फ्लाइट-182 का मलबा अटलांटिक महासागर में दिखा है।
बाद में जांच के दौरान पता चला कि जब विमान आयरलैंड के समुद्री तट के उपर 31 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था, तभी उसमें जोरदार धमाका हुआ। इसमें सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी।
खालिस्तानी आतंकी मंजीत सिंह ने एयर इंडिया की फ्लाइट-182 यानी कनिष्क विमान में एक सूटकेस रखा था। विमान कर्मियों ने सामान शिफ्ट करते समय चेक नहीं किया कि ये किस यात्री का है।
एयर इंडिया की विमान संख्या 182 में हुए बम धमाके का मास्टरमाइंड बब्बर खालसा इंटरनेशनल के नेता तलविंदर सिंह परमार था।
बता दें कि खालिस्तानी आतंकी कनिष्क विमान के साथ ही टोक्यो होते हुए मुंबई जाने वाली एयर इंडिया की दूसरी फ्लाइट को भी उड़ाने का प्लान बना चुके थे।
इसके लिए कनाडा से रवाना होने वाले विमान में बेहद चतुराई से सामान में बम रखकर उसे चेक इन कराया गया। हालांकि, टोक्यो में सामान शिफ्ट करते समय बम एयरपोर्ट पर ही फट गया।
इस धमाके में सामान उठाने वाले दो कर्मचारियों की एयरपोर्ट पर ही मौत हो गई थी। हालांकि, इसके बाद खालिस्तानी आतंकियों की एयर इंडिया के दूसरे विमान को उड़ाने की साजिश नाकाम हो गई।