साधारण शब्दों में कहें तो लोकसभा में लाया जाने वाला यह सामान्य प्रपोजल है। इस प्रस्ताव के बाद केंद्र सरकार को शक्ति परीक्षण कराना पड़ता है। यह लोकसभा के रूल 198 के तहत पेश होता है।
इतिहास की बात करें तो अब तक लोकसभा में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। यह प्रस्ताव आने के बाद या तो सरकार बचती है या चली जाती है। अबकी बार 28वां नो कांफिडेंस मोशन है।
भारत के इतिहास में 27 बार नो कांफिडेंस मोशन लाया जा चुका है और कुल मिलाकर 3 बार ही विपक्षी दलों को सरकार गिराने में सफलता मिली है। कांग्रेस शासन में सबसे ज्यादा बार यह लाया गया।
रिसर्च के अनुसार स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा 15 बार अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ लाया जा चुका है। हालांकि हर बार इंदिरा गांधी की ही जीत हुई।
मोरारजी देसाई सरकार के खिलाफ 1979 में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव बिना वोटिंग के ही खत्म हुआ था। बहस पूरा होने से पहले ही मोरारजी ने इस्तीफा दे दिया।
विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव से अब तक 1990 में वीपी सिंह की सरकार, 1997 में एचडी देवेगौड़ा की सरकार और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकारें गिर चुकी हैं।
7 नवंबर 1990 राम मंदिर के मुद्दे पर भाजपा ने वीपी सरकार से समर्थन खींच लिया और उनकी सरकार 142 के मुकाबले 346 वोटों से गिर गई।
1997 में 10 महीने पुरानी देवेगौड़ा सरकार के खिलाफ नो कांफिडेंस मोशन लाया गया। तब सरकार के पक्ष में 158 वोट और विपक्ष में 252 वोट पड़े और सरकार गिर गई।
17 अप्रैल 1999 को लोकसभा में तत्कालीन वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और एआईएडीएमके के सपोर्ट हटाने से 1 वोट से सरकार गिर गई।