इंडियन क्रिमिनल लॉ में बड़े बदलाव करने वाले 3 विधेयक लोकसभा में पेश हुए हैं। इन तीन नए विधेयकों के जरिए आईपीसी (1857), सीआरपीसी (1858), इंडियन एविडेंस एक्ट (1872) को खत्म किया।
अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता बिल होगा। भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा बिल, भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य बिल होगा।
कानून के अनुसार जब 5 या अधिक व्यक्तियों का समूह एक साथ मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा आधार पर किसी की हत्या करता है, तो ऐसे सदस्य को मौत की सजा दी जाएगी।
इन अपराधों के लिए तलाशी और चालान प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी। ई-एफआईआर कहीं से भी दर्ज कराई जा सकती है। जो लोग फरार हैं उन पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जा सकता है।
एफआईआर पर 90 दिनों में अपडेट अनिवार्य होगा। जीरो एफआईआर को कानून में संहिताबद्ध किया जाएगा। सिविल में मुकदमा चलाने के लिए टाइम बाउंड मंजूरी दी जाएगी।
अभी तक शहरों में महिलाओं से होने वाली चैन स्नैचिंग को लेकर कोई कानून नहीं था। यही वजह थी कि यह धड़ल्ले से होता था। अब नए कानून में चेन स्नैचिंग के लिए प्रावधान बना है।
किसी को झूठ बोलकर, बरगलाकर या किसी नौकरी आदि का लालच, झांसा देकर यौन संबंध बनाना अब गंभीर अपराध की श्रेणी में आएगा। ऐसा करने वालों को आजीवन कारावास भी मिलेगा।
अब देश के खिलाफ, सरकार या प्रशासन की योजनाओं के खिलाफ जान बूझकर गलत कमेंट करने वाले भी अपराध की श्रेणी में गिने जाएंगे। इसके लिए प्रावधान किया गया है।