राजनयिक यानी डिप्लोमैट्स वो लोग होते हैं जो देश की ओर से दूसरे देशों में तैनात होते हैं। ये देश के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हितों की रक्षा करते हैं।
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डिप्लोमैट्स के पास कितनी पॉवर होती है?
राजनयिकों को खास अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मिलती है। उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, उनकी संपत्ति नहीं जब्त हो सकती और उन्हें कोर्ट में पेश नहीं होना होता।
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वियना कन्वेंशन 1961 क्या कहता है?
इस कन्वेंशन के तहत डिप्लोमैट्स को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता। उन्हें यात्रा की स्वतंत्रता है। वे अपनी सरकार से सीधे संवाद कर सकते हैं।
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राजनयिकों को क्या-क्या छूट मिलती है?
आपराधिक और सिविल केसों से छूट। कोर्ट में गवाही देने की अनिवार्यता नहीं। निजता और प्रतिष्ठा की रक्षा का विशेष अधिकार।
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भारत में कैसे बनते हैं डिप्लोमैट्स?
UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास करके IFS (Indian Foreign Service) अधिकारी बना जाता है। हर साल लाखों में से सिर्फ कुछ ही इस सेवा के लिए चुने जाते हैं।
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IFS बनने के लिए योग्यता क्या है?
किसी भी विषय में ग्रेजुएशन। UPSC प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू पास करना। मेरिट के अनुसार IFS कैडर मिलना।
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राजनयिक एजेंटों के बड़े पद कौन से होते हैं?
राजदूत (Ambassador)। उच्चायुक्त (High Commissioner)। महावाणिज्यदूत (Consul General)। संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि (UN Representative)।
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डिप्लोमैट्स के 5 मुख्य काम
देश का प्रतिनिधित्व करना। भारतीय नागरिकों की सुरक्षा। दो देशों के बीच बातचीत। राजनीतिक रिपोर्टिंग। मैत्रीपूर्ण रिश्तों को बढ़ाना।