Pahalgam Terror Attack: पहलगाम के आतंकवादियों ने पीड़ितों से मुस्लिम पहचान साबित करने के लिए कलमा पढ़ने को कहा। जानिए क्या है कलमा, इसके छह प्रकार और इस्लाम में इसका धार्मिक महत्व।
पहलगाम के खूबसूरत पहाड़ों में आतंक का साया तब मंडराया जब आतंकियों ने पर्यटकों से उनकी मुस्लिम पहचान साबित करने के लिए 'कलमा' पढ़ने को कहा।
जो पर्यटक कलमा नहीं पढ़ पाए, उन्हें आतंकियों ने गोलियों से भून दिया और जो जान गए वो केवल एक आयत के बल पर मौत से बच निकले।
कलमा क्या है? यह इस्लाम का मूल विश्वास है जो अल्लाह की एकता और मुहम्मद की नबी होने की पुष्टि करता है। एक मुसलमान के जीवन में इसकी गहरी भूमिका है।
छह कलमे होते हैं: तैय्यब, शहादत, तमजीद, तौहीद, अस्तग़फ़ार और रद्दे कुफ्र। हर एक कलमा एक विशेष धार्मिक उद्देश्य दर्शाता है।
पहला कलमा ‘तैय्यब’ अल्लाह की एकता और मुहम्मद की नबी होने की घोषणा है “ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मदुर रसूलुल्लाह।”
दूसरा कलमा ‘शहादत’ गवाही देता है कि अल्लाह एकमात्र उपास्य है और मुहम्मद उसके अंतिम दूत हैं। इसे इस्लाम स्वीकार करते समय पढ़ा जाता है। तीसरा कलमा तमजीद अल्लाह की प्रशंसा का है।
कलमा तौहीद: एकेश्वरवाद का संदेश – अल्लाह का कोई साझी नहीं। पांचवां कलमा ‘अस्तग़फ़ार’ पापों के लिए अल्लाह से क्षमा माँगने का तरीका है। यह ईश्वर की ओर लौटने और पश्चाताप का प्रतीक है।
छठा कलमा ‘रद्दे कुफ्र’ अविश्वास और बहुदेववाद से इनकार करता है और अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण की घोषणा करता है।
क्योंकि कलमा इस्लाम के सबसे मूल विश्वास – एक अल्लाह में यकीन और मुहम्मद ﷺ की नबूवत – को दर्शाता है। यही वजह है कि आतंकवादियों ने इससे मुस्लिम पहचान की पुष्टि करनी चाही।
असम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य बाल-बाल बचे। उन्होंने बताया कि आतंकियों ने उनसे कुछ नहीं पूछा, बस उन्होंने जोर से कलमा पढ़ा और आतंकी बिना कुछ कहे चला गया।