बैसरन घाटी, पहलगाम का हिस्सा है। अपने घास के मैदानों, ऊंचे देवदार के पेड़ों और बर्फ से ढकी पहाड़ियों के लिए जानी जाती है। यहां की खूबसूरती यूरोप की अल्पाइन वैली की तरह है।
पहलगाम से ही लाखों श्रद्धालु अमरनाथ गुफा की यात्रा पर निकलते हैं। यही वजह है कि यह इलाका धार्मिक और रणनीतिक दोनों दृष्टि से बेहद अहम है।
हर साल अमरनाथ यात्रा में स्थानीय मुस्लिम लोग लंगर, घोड़े और गाइड सेवा से श्रद्धालुओं की मदद करते हैं।
पहलगाम में सर्दियों में स्नोफॉल और गर्मियों में फूलों का जादू होता है। यही कारण है कि ये जगह सालभर पर्यटकों से भरी रहती है।
पहलगाम में वाहन नहीं चलते, पर्यटक घोड़े से बैसरन, आडर, तुलियन लेक जैसे ट्रैकिंग स्पॉट्स घूमते हैं। टूरिज्म से जुड़े लोकल लोगों की रोजी-रोटी इन्हीं से चलती है।
पहलगाम की खूबसूरती बड़े पर्दे पर बखूबी नजर आती है। 'हैदर', 'जबरिया जोड़ी', 'कभी कभी', 'बेताब' जैसी फिल्मों की शूटिंग यहां हो चुकी है।
यह घाटी इतनी खूबसूरत है कि यहां कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। बैसरन से सटी बेताब वैली का नाम सनी देओल की फिल्म ‘बेताब’ के नाम पर ही पड़ा था।
पहलगाम में रेलवे नहीं है। यहां आने के लिए सड़क ही एकमात्र रास्ता है। पहलगाम को अब तक कश्मीर के सबसे शांत इलाकों में गिना जाता था। लेकिन आतंकी हमले ने सबको हिला दिया है।
यहां की लोकल दुकानों में कारीगरी से बनी पश्मीना, लकड़ी के हाथ से तराशे गए सामान और लोकल ड्राय फ्रूट्स बहुत पसंद किए जाते हैं।
विंटर सीज़न में यहां बर्फ की चादर बिछ जाती है और एडवेंचर ट्रैवलर्स के लिए यह जगह परियों की दुनिया बन जाती है।