राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में पुलिस को लगभग 45,000 रेप के मामलों की जांच सौंपी गई थी। लेकिन महज 26,000 मामलों में ही चार्जशीट दायर की गई।
भारत में सिर्फ रेप से जुड़े मामलों में एक्शन लेने पर लेट-लतीफी नहीं देखी गई है। बल्कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सभी 11 श्रेणियों में हालत कमोबेश एक जैसा ही है।
जानकारों की मानें तो रेप से जुड़े ज्यादातर मामलों में आरोपी बरी हो जाते हैं या फिर मामला कोर्ट तक पहुंच ही नहीं पाते। इसकी सबसे बड़ी वजह है चार्जशीट दायर करने में देरी।
महिलाओं से जुड़े रेप मामले में 2022 में कोर्ट में लगभग 2 लाख मामले थे। 18 हजार केस पर बात हुई। सिर्फ 27.4 फीसदी केस में लोगों को सजा हुई। इसका मतलब 10 में से 7 आरोपी बरी हो गए।
NCRB के अनुसार भारत में हर 1500 महिलाओं में से एक हर साल किसी न किसी क्राइम का शिकार होती हैं। साल 2022 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध दर 66.4 प्रति लाख थी।
देश में अगर दिल्ली की बात करें तो 2022 में हर 1 लाख महिलाओं पर करीब 150 अपराध दर्ज हुए। यानी हर 700 महिलाओं में से कोई 1 किसी न किसी क्राइम का शिकार हुई।
NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महिलाओं के खिलाफ क्राइम एक गंभीर समस्या है। हैरानी की बात है कि कुछ ही मामले दर्ज होते हैं। वहीं कई केस पुलिस तक पहुंचते ही नहीं है।