कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर के बाद लोगों में भारी गुस्सा है। 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में इस केस की सुनवाई हुई।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पारदीवाला ने कहा- ये केस सदमा पहुंचाने वाला है। हमने पिछले 30 साल में इतनी बड़ी लापरवाही नहीं देखी। बंगाल पुलिस का रवैया वाकई शर्मनाक है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंचनामे पर सवाल खड़े करते हुए कहा- अगर ये नेचुरल डेथ थी तो आखिर पोस्टमार्टम क्यों किया गया। पोस्टमार्टम के बाद एफआईआर दर्ज करना भी हैरान करने वाला है।
वहीं, इस मामले की जांच कर रही CBI का कहना है कि घटनास्थल पर मौजूद सबूतों से छेड़छाड़ की गई है। FIR भी पीड़िता के अंतिम संस्कार के बाद दर्ज की गई।
SC में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में सीबीआई ने साफ कहा है कि इस केस में अस्पताल प्रशासन से लेकर पुलिस का रवैया बेहद शर्मनाक रहा है। मर्डर को आत्महत्या बताने की साजिश रची गई।
CBI द्वारा कोर्ट में पेश स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़िता की फैमिली को घटना की सूचना देरी से दी गई। कोर्ट ने भी माना कि पुलिस डायरी और पोस्टमॉर्टम के समय में काफी अंतर है।
बता दें कि कोलकाता केस की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार की ओर से जहां 5 वकीलों की टीम है, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार की पैरवी के लिए 21 वकीलों की फौज है।
बता दें कि कोलकाता के अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या के बाद 14 अगस्त की रात आरजी कर हॉस्पिटल में तोड़फोड़ कर सबूत मिटाने की कोशिश की गई थी।