ये अगस्त 1942 में शुरू हुआ। महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुए इस आंदोलन ने ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिलाकर रख दीं और उन्हें भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्रों ने भ्रष्टाचार और सरकारी दुरुपयोग के खिलाफ विरोध किया। इस आंदोलन के चलते इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
चिपको आंदोलन की शुरुआत चमोली में 1973 में सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में हुई। किसानों ने वृक्षों की कटाई का विरोध किया। इसके चलते इंदिरा सरकार को पेड़ों की कटाई पर रोक लगानी पड़ी।
केरल के पलक्कड़ में सदाबहार घाटी और जंगलों को बचाने के लिए इस आंदोलन की शुरुआत हुई। यहां एक बिजली प्रोजेक्ट के विरोध में प्रदर्शन शुरू हुआ, जो बड़े आंदोलन में बदल गया।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की शुरुआत 1985 में स्वयंसेवी संगठनों ने की। धीरे-धीरे इसमें लोग जुड़ते गए और इसका नेतृत्व मेधा पाटकर ने किया। इसका मकसद नर्मदा पर बन रहे बांध का विरोध था।
अगस्त 2012 में UPA सरकार के घोटालों, भ्रष्टाचार और जन लोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल ने ये आंदोलन शुरू किया। इसके बाद UPA सरकार सत्ता से बेदखल हो गई।
छात्रों ने दिल्ली में निर्भया के साथ हुए गैंगरेप और हत्या के खिलाफ विरोध किया। इसके चलते सरकार को कानून में बदलाव करने और महिला सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
2020 में किसानों की ओर से 3 कृषि कानूनों के विरोध में ये आंदोलन किया गया। इसमें दिल्ली की सीमा पर बड़ी संख्या में किसान डटे रहे। बाद मे सरकार को कृषि कानून वापस लेना पड़ा।