इस बार कांग्रेस के 99 सांसद जीतकर संसद पहुंचे हैं, जो सदन में कुल सांसदों की संख्या का 18 परसेंट है। यही कारण है कि 10 साल बाद नेता प्रतिपक्ष का पद कांग्रेस के पास जा रहा है।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की तरफ से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए राहुल गांधी के नाम का प्रस्ताव पारित हुआ है। हालांकि, अभी फाइनल फैसला राहुल गांधी को ही करना है।
नेता प्रतिपक्ष का काम सरकार की निगरानी करना होता है। वह सरकार के कामों का रिव्यू कर सलाह देता है। उसे कैबिनेट मंत्री जैसी सुविधाएं मिलती हैं।
दिल्ली में हाई क्लास फर्निश्ड बंगला, देश में सरकारी कामकाज के लिए फ्री रेल-हवाई यात्रा, अधिकारिक काम के लिए सरकारी कार-ड्राइवर, सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज, हाई लेवल सिक्योरिटी।
लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष को 50,000 रुपए मंथली सैलरी, 45,000 महीने का निर्वाचन भत्ता, 2,000 रुपए सत्कार भत्ता, सरकारी सचिवालय में ऑफिस स्टॉफ और कई जरूरी स्टॉफ
लोकसभा का नेता प्रतिपक्ष लोक लेखा समिति का चेयरमैन होता है। यही कमेटी सरकार के फाइनेंशियल अकाउंट्स चेक करती है। हिसाब-खिताब की जांच करती है। कई अन्य कमेटियों का सदस्य होते हैं।
नेता प्रतिपक्ष केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, मुख्य सूचना आयुक्त और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसी कमेटियों को भी सदस्य होता है। इसमें उसकी ताकत महत्वपूर्ण होती है।
अगर सरकार सिलेक्शन कमीशन में नेता प्रतिपक्ष को न रखे तो ED, CBI प्रमुख की नियुक्ति ही नहीं हो सकती है। चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाली कमेटी में भी नेता प्रतिपक्ष होता है।