दिल्ली से मैं जब भी मां से मिलने गांधीनगर जाता, तो वे मुझे अपने हाथ से मिठाई जरूर खिलाती थीं।
पीएम मोदी के मुताबिक, जैसे एक मां किसी छोटे बच्चे को कुछ खिलाकर उसका मुंह पोंछती है, वैसे ही मेरी मां मुझे कुछ खिलाने के बाद रुमाल से मेरा मुंह पोंछती थीं।
मां साड़ी में हमेशा रुमाल या तौलिया रखती थीं। मां को घर सजाने का, उसे सुंदर बनाने का शौक था। घर सुंदर दिखे इसलिए वो दिन भर लगी रहती थीं। वो घर के भीतर की जमीन को गोबर से लीपती थीं।
मां अक्सर पुराने कागजों को भिगोकर उसके साथ इमली के बीज पीसकर पेस्ट बनाती थीं। फिर इस पेस्ट से वो दीवारों पर शीशे के टुकड़े चिपकाकर बहुत सुंदर चित्र बनाया करती थीं।
मां इस बात को लेकर हमेशा बहुत नियम से चलती थीं कि बिस्तर बिल्कुल साफ-सुथरा हो, बहुत अच्छे से बिछा हुआ हो। धूल का एक भी कण उन्हें चादर पर बर्दाश्त नहीं था।
जो साफ-सफाई के काम करते हैं, मां उन्हें बहुत सम्मान देती थी। वडनगर में हमारे घर के पास जो नाली थी, जब उसकी सफाई के लिए कोई आता था, तो मां बिना चाय पिलाए उसे जाने नहीं देती थीं।
मोदी के मुताबिक, बाद में सफाई वाले भी ये बात समझ गए थे कि काम के बाद अगर चाय पीनी है, तो वो हमारे घर में ही मिल सकती है।