श्वेत पत्र में कहा गया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने 2004 से 2014 के बीच अर्थव्यवस्था को गर्त में पहुंचा दिया।
BJP के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने UPA से मिली चुनौतियों पर पिछले 10 साल में न सिर्फ काबू पाया बल्कि भारत को दुनिया की टॉप-5 इकोनॉमी में पहुंचाया।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र में कहा गया है कि जब 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता संभाली तो अर्थव्यवस्था नाजुक हाल में थी। साथ ही आर्थिक कुप्रबंधन और व्यापक भ्रष्टाचार चरम पर था।
UPA सरकार के 10 साल में किए गए कई गलत फैसलों को सुधारने की बड़ी जिम्मेदारी एनडीए सरकार के जिम्मे थी। मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था और मजबूत शासन प्रणाली स्थापित की।
UPA सरकार ने देश को बेहद कमजोर स्थिति में ला दिया था। 2014 में एनडीए सरकार ने चुनौतीपूर्ण माहौल के बावजूद भारत को 10 साल में दुनिया की टॉप-5 इकोनॉमी में शामिल करवाया।
श्वेत पत्र में कहा गया कि 2008 वैश्विक मंदी के बाद किसी भी तरह से उच्च आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए UPA ने आर्थिक नींव को कमजोर कर दिया। इससे देश में बैंकिंग संकट गहरा गया था।
श्वेत पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि यूपीए के कार्यकाल में कोयला ब्लॉक आवंटन, 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, सारदा चिट फंड समेत 15 बड़े घोटाले हुए।
2013 में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से 1991 के भुगतान संतुलन संकट के एक बार फिर पैदा होने की आशंका पैदा हो गई थी। विदेशी मुद्रा भंडार केवल 6 महीने के आयात के लिए ही बचा था।
UPA से विरासत में मिली खराब इकोनॉमी में सुधार के लिए मोदी सरकार ने कठोर फैसले लिए। NDA ने UPA सरकार के उलट एक मजबूत ढांचा बनाने के साथ ही अर्थव्यवस्था की नींव में निवेश किया।
श्वेत पत्र में मौजूदा सरकार के समय को 'कर्तव्य काल' बताया गया है। साथ ही कहा गया कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है।