आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर प्रसादम लड्डू में जानवरों की चर्बी मिलाए जाने को लेकर चर्चा में है। इस बीच एक महिला ने इसमें तंबाकू होने का आरोप लगाया है।
तिरुपति बालाजी मंदिर का धार्मिक प्रबंधन 4 पुजारी परिवार करते हैं। इन्हें तिरुमति मंदिर के 4 सबसे ताकतवर फैमिली के तौर पर जाना जाता है। सुबह 4 बजे से शाम तक मंदिर का काम संभलाते हैं
तिरुपति मंदिर में जो भी धार्मिक अनुष्ठान चलते हैं, मंदिर के 4 मुख्य पुजारी परिवार के लोग ही करते हैं। मंदिर में 58 पुजारी हैं लेकिन 23 पुजारी परिवार ही परंपरा से नियुक्त होते हैं।
मंदिर के चार पुजारी परिवारों का नाम पैडिपल्ली, गोल्लापल्ली, पेद्दिन्ति और तिरुपतम्मा है। इनकी पीढ़ियां मंदिर का काम संभालती है। इन 4 परिवार के 23 पुजारियों का यहां वर्चस्व है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, मंदिर के मुख्य पुजारी वंशानुगत होते हैं, उन्हें प्रधान अर्चक कहते हैं। इनकी मंथली सैलरी करीब 82,000 रुपए और अन्य सुविधाएं मिलती हैं।
मंदिर के दूसरे हेड पुजारी पीढ़ी दर पीढ़ी चुने जाते हैं। उन्हें मंथली 52000 रु मिलते हैं। भत्ते अलग से दिए जाते हैं। गैर वंशानुगत पुजारियों को 30 से 60 हजार रुपए अनुभव पर मिलते हैं।
सभी पुजारियों को रहने के लिए घर मिलते हैं लेकिन इसका कोई नियम नहीं है। उनकी फैमिली के हेल्थ का खर्च TTD उठाता है। उन्हें छुट्टी भी मिलती है। हालांकि, इसका कोई नियम नहीं है।
पुजारियों का रिटायरमेंट प्लान 2018 में लागू हुआ था। 65 साल की उम्र में वे रिटायर होते थे लेकिन मामला कोर्ट गया और इसे हटा लिया गया, अब लाइफटाइम इस पद पर बने रहते हैं।
हर पुजारी अपने परिवार या कुछ लोगों को अपने कोटे से VIP दर्शन करवा सकते हैं। आमतौर पर 2 VIP पास मिलते हैं। इनका प्रभाव काफी ज्यादा होता है।
माना जाता है कि उन्हें TTD की कमाई में हिस्सा मिलता है, हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं है। TTD में भी इन परिवारों के सदस्य हैं। इनकी संपत्ति करोड़ों में है। ये काफी ठाठ-बाट से रहते हैं।
कहा जाता है कि तिरुपति मंदिर के पुजारियों का रसूख काफी ज्यादा है। उनकी पहुंच सीधे मुख्यमंत्री तक होती है। देशभर के कई बड़े और वीवीआईपी लोगों के यहां अनुष्ठान कराने जाते हैं।