बुधवार 2 अप्रैल की रात वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पास हो गया। गुरुवार, 3 अप्रैल को राज्यसभा में इस बिल पर चर्चा चल रही है। इसे लेकर सरकार और विपक्ष में मतभेद भी है।
वक्फ संशोधन बिल के बीच गरीब मुसलमानों का बार-बार जिक्र किया जा रहा है। जिन पर देश में बहस भी छिड़ गई है।
ऑल इंडिया डेब्ट्स एंड इन्वेस्टमेंट (AIDIS) और पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा गरीबी मुस्लिमों की ही है।
नेशनल काउंसिल फॉर इकोनॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट 2010 के अनुसार, भारत में 31% मुसलमान गरीबी रेखा से नीचे हैं। हालांकि, तब से लेकर अब 15 साल हो गए हैं, ऐसे में आंकड़े बदल भी सकते हैं।
साल 2024 में Global Multidimensional Poverty Index में बताया गया है कि पूरी दुनिया में 110 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में जी रहे हैं। इसमें 3.4 करोड़ संख्या भारतीयों की है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, 2005-06 से 2015-16 में बहुआयामी गरीबी 2.7% सालाना कम हुई है लेकिन 2015-16 से 2019-21 तक इसमें धीमापन देखा गया। इस दौरान 2.3% की दर से गरीबी खत्म हुई।
AIDIS और PLFS की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में मुस्लिमों की औसत संपत्ति की वैल्यू 15,57,638 रुपए थी। नौकरी में भी उनकी हिस्सेदारी कम है। इसका कारण कम पढ़ाई-लिखाई है।