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एलन मस्क ने EVM को लेकर सवाल उठाए हैं। वहीं, मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से शिवसेना प्रत्याशी रवीन्द्र वायकर के रिश्तेदार पर गिनती के दौरान मोबाइल फोन यूज करने का आरोप लगा है।
दावा किया गया है कि OTP के जरिए EVM अनलॉक किया गया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या OTP से ईवीएम एक्टिवेट हो सकती है? ईवीएम क्या है और कैसे काम करती है?
चुनाव आयोग के अनुसार EVM एक्टिवेट करने के लिए OTP की जरूरत नहीं होती। यह स्टैंड अलोन मशीन है। इसे वायरलेस सिस्टम से नहीं जोड़ सकते।
चुनाव आयोग के अनुसार EVM को इंटरनेट या वायरलेस सिस्टम से नहीं जोड़ सकते। EVM के प्रोग्राम को बदला नहीं जा सकता। इसमें कोई दूसरा सॉफ्टवेयर नहीं डाल सकते। इनके चलते यह हैक नहीं होता।
मतदान पूरा होने के बाद हर EVM को सील किया जाता है। उसे स्ट्रॉन्ग रूम में कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है। CCTV कैमरे से निगरानी होती है।
ईवीएम की मेमोरी माइक्रो कंट्रोलर में होती है। यह UADM के अंदर होता है। UADM खोलने की कोशिश होने पर EVM फैक्ट्री मोड में चली जाती है।
EVM एक मशीन है, जिससे वोट डाला जाता है। इसमें बैलट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) शामिल हैं।
EVM के बैलेट यूनिट में प्रत्याशियों के नाम और चुनाव चिह्न होते हैं। जब कोई वोटर नाम के सामने दिए बटन को दबाता है तो उसका वोट प्रत्याशी के नाम पर कंट्रोल यूनिट में दर्ज हो जाता है।
EVM से पेपर बैलेट की तुलना में अधिक कुशल और सटीक तरीके से वोटिंग होती है। वोट रद्द होने की संभावना नहीं रहती। वोट सिर्फ एक उम्मीदवार को मिलता है। वोट गिनने में कम समय लगता है।
ईवीएम में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक और प्रशासनिक प्रक्रियाओं के कारण बूथ कैप्चरिंग खत्म हो गई है। EVM से एक मिनट में 4 से ज्यादा वोट नहीं डाले जा सकते।
EVM का निर्माण भारत में सरकारी कंपनी द्वारा किया जाता है। इसका निर्माण और डिजाइन चुनाव आयोग द्वारा गठित तकनीकी विशेषज्ञ समिति (टीईसी) के मार्गदर्शन में होता है।
रक्षा मंत्रालय के तहत बीईएल और परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत ईसीआईएल नामक दो सरकारी कंपनी ईवीएम बनाती है।