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G7 का मेंबर न होकर भी शामिल होने से भारत को होगा क्या फायदा?

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G7 का क्या काम है

इस समिट के जरिए पश्चिमी देश फाइनेंशियल लेवल पर पॉलिसी बनाने के लिए एक साथ आते हैं। इस समिट में अमीर देश दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा होती है।

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G7 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

14 मई से इटली के फसानो शहर में G7 सदस्य देशों को नेता पहुंच चुके हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मीटिंग में बतौर चीफ गेस्ट पहुंचे हैं। भारत जी7 संगठन का मेंबर नहीं है।

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G7 में पहली बार कब शामिल हुआ भारत

इटली की PM जॉर्जिया मेलोनी ने इस समिट में भारत को बतौर गेस्ट बुलाया है। सबसे पहले 2003 में फ्रांस में हुए समिट में भारत को बुलाया गया था। तब तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी गए थे।

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भारत सदस्य नहीं फिर G7 से बुलाया क्यों

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हमारी जीडीपी 2.5 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है, जो तीन G7 देशों कनाडा, फ्रांस, इटली की संयुक्त जीडीपी से अधिक है। इसलिए जी7 देश भारत को जोड़े रखना चाहते हैं।

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G7 समिट में जाने से भारत को क्या फायदा

मेंबर न होने के बावजूद जी7 बैठक में जाना भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है। इस समिट में जरूरत के अनुसार अलग-अलग 3 देशों की मीटिंग होती है। भारत दो के साथ बैठ अपनी बात रख सकता है।

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भारत की साख बढ़ती है

कई मुद्दों को लेकर भारत G7 देशों से सहमत नहीं है। इसमें शामिल होकर वह विकासशील देशों का नजरिया अमीर देशों के सामने रख सकता है। इससे भारत की साख बाकी देशों में बढ़ सकती है।

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भारत का पक्ष मजबूत बनता है

UN में फैसला हुए बिना G7 देश दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल देते हैं, जिससे भारत सहमत नहीं। चूंकि भारत बतौर गेस्ट पहुंचता है तो अपना पक्ष मजबूती से दुनिया के बीच रख सकता है।

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