रूसी AK-47 असॉल्ट राइफल को एक डॉक्यूमेंटरी में सदी का हथियार बताया गया है। इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में हो रहा है। यह अपनी सादगी, विश्वसनीयता और प्रभावशीलता के लिए जाना जाता है।
AK 47 को एक रूसी सैनिक ने 1945-1949 के बीच तैयार किया था। उसका नाम मिखाइल कलाश्निकोव था। उसकी के नाम पर AK-47 का नाम ऑटोमैटिक कलाश्निकोव रखा गया।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत रूस के पास अच्छे राइफल कम थे। इसके चलते मिखाइल कलाश्निकोव ने ऐसा राइफल बनाया जो कठोर सर्दियों में भी काम करे और बेहद भरोसेमंद हो।
AK-47 की खासियत इसकी सादगी है। स्टैम्प्ड स्टील से बनाए जाने के चलते लागत कम रहती है। गैस-ऑपरेट सिस्टम के चलते कम रखरखाव की जरूरत होती है।
AK-47 7.62-mm का असॉल्ट राइफल है। इसका वजन 4.3 kg है। इसके मैगजीन बॉक्स में 30 गोलियां आती हैं। इससे 600 राउंड प्रति मिनट की रफ्तार से फायरिंग हो सकती है।
AK-47 राइफल ने रूस से आगे बढ़कर पूरी दुनिया पर असर डाला है। शीत युद्ध के दौरान सोवियत रूस ने अपने मित्र देशों को बड़ी संख्या में ये राइफल दिए थे।
वियतनाम युद्ध में AK-47 राइफल का इस्तेमाल उत्तरी वियतनामी सेना ने अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ किया था। अमेरिकी सैनिकों के पास अधिक जटिल M16 राइफल थे।
गुरिल्ला युद्ध में AK-47 ने अपनी उपयोगिता साबित की। जंगल, बारिश और कीचड़ वाले युद्ध क्षेत्र में अमेरिकी M16 राइफल परेशानी खड़ी करते थे। वहीं, AK-47 बिना दिक्कत से काम करता था।
AK-47 को सेना के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में इसे विद्रोहियों और आतंकियों द्वारा भी खूब इस्तेमाल किया गया। कम कीमत और भरोसेमंद होने इसकी मुख्य वजह थी।