कच्छतीवु भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका की मुख्य भूमि के बीच एक छोटा सा द्वीप है। यह श्रीलंका के उत्तरी तट और भारत के दक्षिण पूर्वी तट के बीच का क्षेत्र है।
सेंट एंटनी चर्च भी इसी कच्चातिवु द्वीप पर है। हर साल फरवरी-मार्च के में यहां एक हफ्ते प्रार्थना होती है। 1983 में श्रीलंका के गृह युद्ध के दौरान ये प्रार्थना आदि बाधित हो गई थी।
भारत-श्रीलंका के बीच इसे लेकर विवाद है। साल 1974-1976 के बीच पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने श्रीलंका के साथ 4 सामुद्रिक सीमा समझौते किए थे जिसके तहत कच्चातिवु श्रीलंका में चला गया।
साल 1991 में तमिलनाडु विधानसभा में कच्छतीवु को वापस भारत में शामिल करने की मांग उठी थी। प्रदेश की तत्कालीन सीएम जय ललिता ने 2008 में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ला खड़ा किया था।
तमिलनाडु की तत्कालीन सीएम जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट से पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की ओर से किए गए भारत और श्रीलंका के इस समझौते को संविधान के विरुद्ध करार देने की मांग की थी।
कच्छतीवु द्वीप पाक जलडमरूमध्य में स्थित है। भारत में रामेश्वरम से ये 12 मील और जाफना के नेदुंडी से 10.5 मील दूर है। ये द्वीप करीब 285 एकड़ में फैला है और करीब 300 मीटर चौड़ा है।
इस द्वीप पर वर्ष 1974 से पहले रामेश्वरम के मछुआरे मछली पकड़ते रहे हैं। साथ ही यहां होने वाले वार्षिक उत्सव में भी भाग लेते रहे हैं।
भारतीय मछुआरों का भारत और श्रीलंका समझौते के तहत कच्चातिवु सीमा में जाना मना है। इससे मछुआरों के सामने रोजी का संकट रहता है।
रोक के बाद भी भारतीय मछुआरे मछली पकड़ने के लिए कई बार कच्चातिवु की सीमा में घुस जाते हैं। इस कारण श्रीलंका के नौसेना उन्हें गिरफ्तार कर लेती है। उनपर जुर्माना भी लगाती है।
लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने भी अब कच्चातिवु मामला उठाते हुए कांग्रेस को घेरा है। उन्होंने पूर्व की सरकार पर कच्चातिवु को श्रीलंका को गिफ्ट करने का आरोप लगाया है।