केजरीवाल ED हिरासत में हैं। मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ा है। इससे दिल्ली में संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। चर्चा है कि सीएम डिसमिस किए जा सकते हैं और राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में जो परिस्थिति है, उसमें बीजेपी, केजरीवाल को हटाने का रिस्क नहीं लेगी, क्योंकि इससे अरविंद केजरीवाल को बड़ा राजनीतिक फायदा मिल सकता है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बीजेपी इस बात को समझती है कि अगर AAP केजरीवाल का मैसेज देशभर में पहुंचाने में सफल हो जाती है तो उसे जनता की सहानुभूति मिल जाएगी।
जानकारों का मानना है कि भाजपा अदालत उम्मीद लगाए है कि वह कभी न कभी ऐसा फैसला ले सकती है कि जेल से सरकार चलाना मुश्किल है। ऐसे में केजरीवाल पर पद छोड़ने का दबाव बनाया जा सकता है।
दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि राजनीतिक कारणों से केजरीवाल को जेल भेजना बीजेपी की बड़ी गलती है। लोगों में गुस्सा है। लोकसभा में बीजेपी को खामियाजा भुगतना होगा।
संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा कहीं नहीं लिखा कि जेल से सरकार नहीं चल सकती लेकिन पहले ऐसा नहीं हुआ है, अगर केजरीवाल पद नहीं छोड़ते तो उन्हें डिसमिस करने का विकल्प ही बचता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, मुख्यमंत्री जेल में हैं, जो एक संवैधानिक संकट है। अगर इसकी परवाह वह नहीं कर रहे तो अनुच्छेद 239AA के अनुसार उन्हें डिसमिस किया जा सकता है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है, मौजूदा परिस्थितियों में बीजेपी, केजरीवाल को हटाने का रिस्क नहीं लेगी, क्योंकि चुनाव में मुद्दा बैकफायर कर सकता है। केजरीवाल को सहानुभूति मिल सकती है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा इस मामले में कोर्ट के ही फैसले का इंतजार करने का फैसला लेगी, ताकि केजरीवाल पर पद छोड़ने का दबाव बनाया जा सके।